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रीडिंग: भारतीय महिलाओं में लगातार बढ़ रहा मोटापा: सर्वे में 35 से 49 वर्ष के 50% महिलाएं है इसके शिकार, जाने क्या है विशेषज्ञों की मोटापे पर राय
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भारतीय महिलाओं में लगातार बढ़ रहा मोटापा: सर्वे में 35 से 49 वर्ष के 50% महिलाएं है इसके शिकार, जाने क्या है विशेषज्ञों की मोटापे पर राय

रेखा त्रिपाठी
अपडेट: 25 मई 2025
4 मि. समय
भारतीय महिलाओं में लगातार बढ़ रहा मोटापा

बढ़ती उम्र के साथ भारतीय महिलाओं में मोटापा लगातार और काफी तेजी से बढ़ रहा है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह एक बड़ी समस्या बन सकती है। 35 से 49 साल की उम्र वाली लगभग 50% महिलाएं इस गंभीर समस्या जूझ रही है। हाल ही में हुए एक स्टडी अनुसार, 18 से 30 वर्ष के युवतियों में भी मोटापा दर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसका महिलाओं की सेहत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता, गर्भावस्था और मेटाबॉलिक हेल्थ को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों की सलाह है कि महिलाएं इसे एक चेतावनी की तरह स्वीकार करे। महिलाओं में बढ़ती मोटापा की समस्या को देखते हुए उनका कहना है कि भारत की पब्लिक हेल्थ पॉलिसी में इसे अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। इस रिसर्च को इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (आईएसएआर) ने 70 से ज्यादा अध्ययनों, जैसे सरकार द्वारा किये गए सर्वे और वैश्विक रिपोर्टों के आधार पर प्रस्तुत किया है।

महिला विशेषज्ञ ने कहा कि सरकार मोटापा को बीमारी घोषित करे

समय रहते मोटापे की लक्षण को पहचानना अत्यंत आवश्यक है। लीलावती अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नंदिता पालशेत्कर का कहना है कि मोटापे को केवल प्रजनन क्षमता से नहीं जोड़ना चाहिए। कहते हैं कि मोटापा बिमारियों का घर है, अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो जीवनभर की बिमारियों की वजह बन सकता है।

आगे उन्होंने कहा कि जिस प्रकार 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बाँझपन को बीमारी के रूप में मान्यता दी, ठीक उसी प्रकार मोटापे को भी बीमारी घोषित किया जाना चाहिए। तभी सरकारें इसे गंभीरता से लेते हुए पब्लिक हेल्थ पॉलिसी में शामिल करेंगी।

शहरी और ग्रामीण महिलाओं में मोटापे की दर

देश के शहरी महिलाएं, ग्रामीण महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा मोटापे का शिकार हो रही है। 35.5% शहरी महिलाएं और 19.7% ग्रामीण महिलाएं इस मोटापे से प्रभावित हैं। इसकी मुख्य वजह बदलते जीवनशैली, अधिक समय तक बैठकर काम करने की आदत और हाई कार्ब डाइट है। इससे गर्भावस्था में डायबिटीज, पीसीओएस और मिसकैरेज (गर्भपात) जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है।

जीवन चक्र के हर पड़ाव में अलग रणनीति अपनाने की जरुरत

डायबिटीज एवं मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के जानेमाने विशेषज्ञ डॉ. पिया बल्लानी ठक्कर ने कहा कि महिलाओं को जीवन के हर चरण में मोटापे की नियंत्रित करने के लिए अलग रणनीति अपनाना चाहिए। उन्होंने ककह कि गर्भधारण करने के पूर्व महिलाओं को अपने जीवनशैली में कुछ विशेष बदलाव करना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान खानपान के अलावा वजन पर भी खास ध्यान देना चाहिए और डिलीवरी के बाद वजन कम करने के लिए योजनाबद्ध तरीकें से काम करना बहुत जरूरी है।

मोटापा को बढ़ने से रोकने के लिए विशेष दिशा निर्देश

मोटापे को बिमारियों का घर कहा जाता है, इसलिए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, खासकर भारतीय महिलाओं को सावधानियां बरतना जरूरी है। मोटापे की समस्या से निजात पाने के लिए इसका मूल्यांकन करते रहना चाहिए, ताकि इसका उपचार सांस्कृतिक रुप से सही तरीका अपनाकर किया जा सके। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि हाई फाइबर, ग्लायसेमिक डाइट, प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम और सामुदायिक सहयोग के माध्यम से मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है।

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